क्या करते है?

गोपाल वनवासी एक RTI कार्यकर्ता और सामाजिक न्याय के प्रहरी हैं। उनका उद्देश्य भ्रष्टाचार को उजागर करना, सरकारी नीतियों में पारदर्शिता लाना और जनता को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना है। वे जनहित याचिकाओं और सूचना के अधिकार (RTI) के माध्यम से प्रशासन को जवाबदेह बनाने के लिए सतत प्रयासरत हैं।

कैसे करते है?

सूचना के अधिकार (RTI) का उपयोग, जनहित याचिकाएँ (PIL) दाखिल करना, कानूनी लड़ाई लड़ना,  विभिन्न सोशल डिजिटल माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाने के साथ विभिन्न सरकारी दस्तावेजों की जांच कर, मीडिया और न्यायपालिका के सहयोग से भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाकर गोपाल वनवासी कार्य कर रहे हैं।

50+

RTI Filed

10+

Major Scandals Exposed

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People Empowered

10+

Years of Experience

हमारे मिशन और उद्देश्य

हमारा मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन को बढ़ावा देना है। हम सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार को उजागर करने और कानूनी कार्रवाई के माध्यम से जनता के अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम जिन मुद्दों पर काम कर रहे हैं:

  1. सरकारी योजनाओं में वित्तीय अनियमितताओं की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करना।
  2. पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय पहल करना और अवैध खनन के खिलाफ कानूनी सहायता प्राप्त करना।
  3. सरकारी योजनाओं में डिजिटल पारदर्शिता को प्रोत्साहित करना।
  4. नागरिकों के सामाजिक और मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाना।

प्रमुख कार्य और उपलब्धियां

गोपाल वनवासी ने उत्तराखंड में कई घोटालों को उजागर कर कानूनी कार्रवाई की है, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

📌 जल निगम घोटाला (बागेश्वर और चमोली) – RTI के माध्यम से भ्रष्टाचार उजागर कर FIR दर्ज कराई गई।
📌 600 करोड़ का चावल घोटाला (उधम सिंह नगर) – उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई।
📌 खनिज फाउंडेशन न्यास का दुरुपयोग (बागेश्वर) – उच्च न्यायालय नैनीताल में मामला दर्ज किया गया।
📌 अवैध स्टोन क्रशर (रामनगर) – NGT और उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई।

हमारा प्रयास है कि न्यायपालिका और कानून का सहारा लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ सतत संघर्ष किया जाए और जनता को उसका अधिकार दिलाया जाए।